जमाना काफी बदल गया है। जिंदगी जीने से लेकर शादी विवाह के तौर-तरीके तक। यहां तक कि दुल्हन की विदाई का तरीका भी बदल गया है। जिस शादी की बात हम करेंगे उस शादी में तो सारे तौर-तरीके ही नए थे। पारंपरिक रस्में रिवाज से बाहर निकलकर इन नए तौर-तरीकों को आप भी पढ़ेंगे तो हैरान रह जाएंगे।
दुल्हन की विदाई का समय था। सबकी आंखें नम थी। दुल्हन कार में बैठने को तैयार थी। विदाई के समय लोगों के रोने का वक्त आ ही रहा था कि लोगों के आखों से नमी अचानक ही गायब हो गई। दरअसल, दुल्हे महाराज जी ड्राइवर की बराबर वाले सीट की तरफ जा रहे थे और दुल्हन के हाथ में कार की चाबी थी।
मेहमान ये देखकर हैरान हो गए, यह क्या! पर थोड़ी ही देर में सबसे चेहरे पर चमक सी आने लग गई। आमतौर पर ऐसा होता है कि दुल्हन जब ससुराल को जाती है तो दुल्हा और दुल्हन कार की पीछे की सीट पर बैठते हैं। कभी-कभी दुल्हा आगे भी बैठ जाता है, लेकिन दुल्हन तो कभी भी कार चलाकर नहीं जाती।
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पहले तो लोगों को लगा कि यह सामाजिक रीत-रिवाजों के अनुरुप नहीं है। फिर लोगों को समझ आया कि अब हर चीजें बदल हैं। लड़की काबिल हो तो कुछ भी संभव है। पर खुद को काबिल सिद्ध करना आसान नहीं होता। दुल्हा ने बताया, कि मैं भी एक ऐसी शादी करना चाहता था जहां मैं अपनी पत्नी के साथ अपने नियम बना सकूं। मुझे यह मौका मिला और हमने कर दिखाया। तब मुझे अच्छा लगा जब उसने कार की चाबी मांगी। मुझे भी लगा कि मुझे अपनी दुल्हन की सुननी चाहिए। मैंने अपने घरवालों को इससे पहले इतना खुश नहीं देखा था।
इन दोनों दुल्हा-दुल्हन की कहानी के किस्से यहीं खत्म नहीं हो जाते हैं। दोनों करीब सात साल से एक दूसरे को जानते भी थे। दोनों के पेरेंट्स ने एक महीने में शादी कर लेने का फैसला किया। इनके लिए इतने कम समय में शादी की सारी तैयारियां कर लेना आसान नहीं था। लेकिन दुल्हा-दुल्हन बनने जा रहे दोनों ने यह चैलेंज स्वीकार किया। दोनों ने गुरुद्वारा में शादी करने का फैसला किया। रिसेप्शन अगले दिन दिया गया।
दुल्हे ने बताया कि दुल्हन पहली बार ससुराल गाड़ी चलाकर जाएगी ऐसा पहले से तय नहीं था। दुल्हन ने बताया कि अचानक मुझे लगा कि हर चीज तो हमको ही करनी पड़ रही है क्यों ना में ससुराल गाड़ी चलाकर जाऊं। दुल्हन ने बताया कि जब मैंने पति से चाबी मांगी तो उन्होंने कुछ नहीं बोला। फिर वो बगल वाली सीट पर जाकर बैठ गए और मैं खुद ड्राइवर वाली सीट पर बैठ गई।
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कभी-कभी, पारंपरिक रीत-रिवाजों में बदलाव की भी जरुरत होती है। दुल्हन को अपने खुद के नियम बनाने चाहिए और शादी के दिन कुछ अलग और बेहतर करके दिखाना चाहिए। इससे आपकी अलग पहचान भी बन सकेगी।
इससे अच्छा और क्या हो सकता कि बेस्ट फ्रेंड ही आपका लाइफ पार्टनर बन जाए।
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